Monday, April 11, 2011

दिल के ज़ज्बात

दिल के ज़ज्बात  है ये कोई साज़ की आवाज़ नहीं 
मेरे अशआर किसी के दाद के मोहताज़ नहीं 
पुरसुकूं होते हैं इन्हें पड़ पड़ के बार बार 
क्या गिला जो सर पे शौहरत का ताज नहीं 


पुरसुकूं- आनंद से परिपूर्ण 

1 comment:

  1. aapke andaje bayan me gajab ki rawani hai, soharat ki mat puchhiye woh to khud aapki diwani hai. vikas.

    ReplyDelete