Friday, May 13, 2011

कहाँ कोई अपना

इस जहाँ में अब कहाँ कोई अपना रहा है 
गुस्ताखी हुई गर तपाक से अपना कहा है
दिल की कमजोरी का ये आलम कैसा 
टुटा कोई और अश्क अपना बहा 
है

3 comments:

  1. wah wah ....bha'i wah. Jaise apne dil ki baat kah di ho. Bahut khub! Nirmal

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  2. वाह: क्या बात है लाजवाब |

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