Tuesday, May 31, 2011

बेरुखि का दौर

हसिन रुख पे गुरुर क्यूँ इतना
अपने अक्श का सुरुर क्यूँ इतना
वक़्त किसि को बक्शता नहीं
बेरुखि का दौर हुज़ुर क्यूँ इतना

No comments:

Post a Comment