Thursday, May 19, 2011

कुदरत के एक करिश्मे


कुदरत के एक करिश्मे से मुलाकात हुई 
लब खामोश रहे निगाहों से बात हुई 
कुछ तो है पलकों के मचलने में 
दिल में ख्वाइशों की बरसात हुई  

2 comments:

  1. प्रिय बंधुवर हेमंत पारख जी
    सस्नेह अभिवादन !

    आपका ब्लॉग देख कर हमारे भी दिल में ख़्वाहिशों की बरसात हुई :)
    यू ट्यूब पर भी आपकी आवाज़ में कन्या भ्रूण हत्या संबंधी रचना सुनी … अच्छी लगी ।


    समय निकाल कर हमारे यहां भी आइए…
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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