१५ अगस्त के आते ही हम बच्चे क्यूँ नहीं बन जाते हैं
हाथ में तिरंगा लेकर क्यूँ नहीं फहराते हैं
किस बात पे हम आज झिझक जाते हैं
हाथ में तिरंगा लेकर क्यूँ नहीं फहराते हैं
किस बात पे हम आज झिझक जाते हैं
हम बुडे हुए या आज़ादी ये समझ नहीं पाते हैं
१५ अगस्त के आते ही हम..................
ये देश हमारा हमको पराया सा दीखता है
यहाँ आज इमान धर्म तोल के भाव बिकता है
दैरो-हरम का व्यापार यहाँ लाशों पर पलता है
अपनों को अपना कहने से क्यूँ इतना घबराते है
१५ अगस्त के आते ही हम..................
इस देश के नेता गली के कुत्ते है भाई
गुंडे बदमाश आतंकवादी हैं इनके जंवाई
इनके हाथों ने ही इस देश में सेंध लगाई
दुराचारी भ्रस्टाचारी शाशन की पन्हा पाते हैं
१५ अगस्त के आते ही हम..................
-हेमन्त
very nice
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