में बाप हूँ हर मुसीबत झेल जाता हूँ
अपने फ़र्ज़ को हर हाल में निभाता हूँ
अश्कों को पीते पीते जिगर भर जाता
क्या अपने लिए दो लफ्ज़ सुन पाता हूँ
अपने फ़र्ज़ को हर हाल में निभाता हूँ
अश्कों को पीते पीते जिगर भर जाता
क्या अपने लिए दो लफ्ज़ सुन पाता हूँ
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