Pages
My FACE BOOK Page
Home
About Me
Sunday, August 5, 2012
मर्ज–ए-इश्क
मर्ज–ए-इश्क को नब्ज से छुडाया न गया
इस आग से दामन को बचाया न गया
जो हुए खाक
,
हवाओं से डर लगता है
बिखर जायेंगे गर अश्क से भिगाया न गया
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment