घुटन भरी दुनिया के अंदर
बचा कहाँ अब कोई कलंदर
बसा इमारती जंगल के अंदर
बस इतना ही तो बदला बंदर
कोखें उजाड़ी उजाड़ी मांगें
हासिल क्या किया सिकंदर
कितने दरिया निगल रहा
बचा कहाँ अब कोई कलंदर
बसा इमारती जंगल के अंदर
बस इतना ही तो बदला बंदर
कोखें उजाड़ी उजाड़ी मांगें
हासिल क्या किया सिकंदर
कितने दरिया निगल रहा
फिर भी प्यासा है समंदर
आइना बनता है सबका
झांक जरा तू अपने अंदर
पाक अगर है जहन तेरा
तू भी सुंदर में भी सुंदर
आइना बनता है सबका
झांक जरा तू अपने अंदर
पाक अगर है जहन तेरा
तू भी सुंदर में भी सुंदर
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