Friday, May 20, 2011

इन्शानियत की आगोश

अब भी वक़्त है नादानों होश में आओ 
इन्शानियत के धर्म को पहले अपनाओ 
सोच की नग्नता नामों से छुपती नहीं 
इन्शानियत की आगोश में समा जाओ 

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