Pages
My FACE BOOK Page
Home
About Me
Tuesday, June 14, 2011
मरने के वास्ते
रोज़ मरते हैं जीने के वास्ते
सांसो को समेटते मरने के वास्ते
ये ज़िन्दगी का तमाशा कैसा
बेसब्र खड़े हैं हम बिकने के वास्ते
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment