तन्हाइयों में तीरगी क्यूँ प्यारी लगती है
खला के रुबरु हुई तो तन्हाई बेचारी लगती है
फकत उम्मीद के चिराग का सहारा बचा
वरना अब तो हर एक साँस भारी लगती है
तीरगी=अँधेरा , खला=शून्य, अंतरिक्ष,
खला के रुबरु हुई तो तन्हाई बेचारी लगती है
फकत उम्मीद के चिराग का सहारा बचा
वरना अब तो हर एक साँस भारी लगती है
तीरगी=अँधेरा , खला=शून्य, अंतरिक्ष,
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